⋇⋆✦⋆⋇ दोस्त ⋇⋆✦⋆⋇
ए दोस्त तुझसे दूर जाना पड़ा
खुद को बहुत समझाना पड़ा।।
ए कमबख्त वक्त तुझे क्यों मेरी जिंदगी में आना पड़ा
जिससे मैं बेहद चाहा उसी से आज दूर जाना पड़ा।।
लालत मेरे ऐसे धन पर जिसके रहते हुए भी
मेरे दिल के खान से हीरे को जाना पड़ा।।
आज चमकते सूरज चांद को भी सर झुकाना पड़ा
जब एक गहरे दोस्त को एक दोस्त से दूर जाना पड़ा।।
इस कुदरत के भी आंखों से आंसू निकल आए
जब दो जुदा दोस्त को यह समझाना पड़ा।।
धर्मवीर
⋇⋆✦⋆⋇ मेरे दोस्त, मेरी जान ⋇⋆✦⋆⋇
जब जब दुनिया ने मुझे ठुकराया
तुमने कवच बनकर मुझे बचाया
मेरे हर एक ग़म को तुमने अपनाया
मेरे लिए खुशियों नया संसार बनाया।।
जब जब जिंदगी ने नया मोड़ लिया
तू मुझे अपनी खुशियों से जोड़ लिया
ए दोस्त तू मेरे खुशियों का संसार है
तेरे बिना तो यह जीवन भी बेकार है।।
⋇⋆✦⋆⋇ हमारे रिश्ते ⋇⋆✦⋆⋇
सूर्य की पहली किरण पड़ी ही नहीं उन आंखों पर
वो आंखें सुबह सुबह नई किरणों से लाचार हो गई
हम लोग ऐसे बदले इस बदलती दुनिया में की
आज रिश्ते हमसे दो तलवार एक मयान हो गई।।
पक्षियों की चहचहाहट वर्षों की बात हो गई
डब्बे की घंटी सुनकर सुबह की अज़ान हो गई
बिस्तर पर लेटे- लेटे ही सबसे मुलाकात हो गई
हमारे सुनहरे रिश्तो की डोर में कई गांठ हो गई।।
आज बच्चों की शोर कुछ इस प्रकार शांत हो गई
कि मानो जैसे सूरज होते हुए भी दिन में रात हो गई
वो बाग बगीचे, गली ,चौराहे और मिठाई की दुकानें
तरसती है उन नन्हे कदमों को जो गिरफ्तार हो गई।।
आज मोहब्बत अजब गजब की ऐसी खान हो गई
हीरा तो मिलता ही नहीं इन मोहब्बत के खानों में
मानो लगता है कि इश्क मिठाई की दुकान हो गई
आज मोहब्बत भी इनमें खिलौने की समान हो गई।।
कबूतरों से खत पहुंचाना, बुलबुल का गीत गाना
किताबों में अपने पहला-पहला प्रेम का पत्र छुपाना
गुलाबी फूलों को देकर अपने दिल की बात बताना
आज ये सब आम लगता है हमें भूला शाम लगता है।।
⋇⋆✦⋆⋇ हमारा लक्ष्य ⋇⋆✦⋆⋇
हमारा लक्ष्य कैसा भी हो
हमें लक्ष्य का आभास होना चाहिए
जीवन में हार जीत तो चलता रहता हैं
लेकिन मंजिल हमारे पास होना चाहिए।।
यह बुरा वक्त, ठहरा दो पल का
इसमें हमें परेशान ना होना चाहिए
हमें तो पर्वत से लड़ना हैं, इसलिए
हमारे सीने में जल नहीं आग होना चाहिए।।
खुद में झाँक कर तो देख
तू क्या अद्भुत चीज हैं
तू जीवन का सच्चा जीत हैं
तेरे बिना तो यह संसार भी रिक्त हैं।।
खुद को जान, खुद को पहचान
तेरे अंदर तो ख़ुदा हैं समाया
तू अपने आप को क्यों भूलाया
अब वक्त को और जाया ना कर
खुद को और भी भुलाया ना कर।।
⋇⋆✦⋆⋇ वीर सैनिक ⋇⋆✦⋆⋇
ए-हवा अब रुक मत,
जा मेरे माँ के पास,
मेरी माँ मुझे पुकार रही है-
पल-पल आशु बहा ही है।।
जाकर उन्हें यह एहसास देना,
चरण स्पर्श कर मेरा प्रणाम देना,
गले लगा कर उन्हें मना लेना-
कहना वह जल्द आ रहा है।।
माँ से कहना, वह मेरे लिए
ममता से भरी, मीठी खीर बनाएँ-
उसकी ममता भरी मिठास-
मेरे धरती माँ की गोद तक आए।।
बगल में खड़ी होगी मेरी लाडली बहन
उससे यह कह देना ,अब देर नहीं
भाई तुम्हारा जल्द ही आ रहा है।
तुम्हारे लिए पायल,कंगन संघ ला रहा है।।
पिताजी खेत से आ रहे होंगे ,
उन्हें चरण स्पर्श कर सम्मान देना -
उन्हें महसूस हो मेरा,तो उन्हें बता देना
उनका वीर पुत्र जल्द आ रहा है।।
गली,चौराहे सब ख्वाबों में खोए होंगे,
बागों में वृक्ष पर झूले अब सोए होंगे,
मेरे मित्र उनके पास होंगे -
मित्रों में एक मित्र कम होगा ,कह देना-
अब वह मित्र जल्द ही तुम्हारे संग होगा।।
धर्मवीर सिंह
©Dharmveer Singh
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1 Comments
So nice
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