⋇⋆✦⋆⋇ मेरी भाषा हिंदी ⋇⋆✦⋆⋇ 

जैसे नारी के माथे पर लगकर
उसे खुबसुरत बनाती हैं एक बिंदी ,
मेरे अधर पर आ कर के,
मेरी शान बढ़ाती हैं "हिंदी" ,

"अ" से "अनपढ़" से शुरू हुआ सफर ,
"ज्ञ" से "ज्ञानी" मंजिल हैं ,
जिससे "म" से "माँ" की ममता हैं झलकती
वो भाषा बस "हिंदी" हैं ।।

हिंदी भाषा हैं जज़्बात की
दो दिलों के मुलाकात की ,
हिंदी में हैं "भाव" ,हैं ममता की "छाँव",
ऐसे सजती हैं हिंदी जुबा पर ,
जैसे मेले में सजा हो गाँव ,

हिंदी हैं संस्कृति ,
हैं हिंदी में प्रीति,
चाहे जितना सजले नारी ,
उसे पूर्ण करे एक बिंदी ,
मेरी शान बढ़ाती है "हिंदी"

"ह" से "हिंदुस्तान" ,
"ह" से "हम"
"ह" से है हिंदुस्तानी
"ह" से हैं हमारी भाषा हिंदी ,

जैसे नारी के माथे पर लगकर
उसे खुबसुरत बनाती हैं एक बिंदी ,
मेरे अधर पर आ कर के,
मेरी शान बढ़ाती हैं "हिंदी" ।।

राधा कुमारी


⋇⋆✦⋆⋇ ।। कुछ भी बेवजह नहीं होता ।। ⋇⋆✦⋆⋇ 

कुछ भी बेवजह नहीं होता, 
ना मौसमों का बदलना.. ....
ना हवाओं का बहना.. ..
ना घटाओं का गरजना.. ....
ना सुरज का ढ़लना .......
ना चाँद का निकलना ....
ना तारों का टूटना .....
ना लकीड़ो का मिटना.. ...
ना आग का जलना. ....
ना बर्फ का पिघलना. ....
ना किसी का आना.. .
ना किसी का जाना.. .
कुछ भी बेवजह नहीं होता।। 
                   — राधा कुमारी 
Instagram :- radha_ki_dairy



⋇⋆✦⋆⋇ ना पुछ मेरी जात ⋇⋆✦⋆⋇ 

ना पुछ मेरी जात क्या है.....
तुमसे मोहब्बत आखिर क्यों हैं?? 
मेरी औकात क्या है... 
मेरी इतनी दिल्लगी की बात के पीछे 
आखिर बात क्या है??
कि अपने कलम की स्याही से....
मैंने कई धर्मों को लिखा है... .
ना पुछ मेरी जात क्या हैं .??
                   राधा कुमारी 
Radha_ki_dairy


⋇⋆✦⋆⋇ मैं और वो ⋇⋆✦⋆⋇ 

मैं गाँव की अलहर लड़की, 
वो शहर का छोरा हैं। 

मैं कोई खाली पन्ना हूँ, 
वो भी पन्ना कोरा है।
मैं गाँव की अलहर लड़की, 
वो शहर का छोरा है।। 

मैं कोई अनसुलझी पहेली, 
वो पहेली पुरा है। 
मैं गाँव की अलहर लड़की, 
वो शहर का छोरा है।। 

                       राधा कुमारी ✍️


⋇⋆✦⋆⋇ इजाजत ⋇⋆✦⋆⋇ 

।। उसके साये को भी छूने की इजाजत नहीं है ।।

थाम कर उसका हाथ चलना चाहती हूँ, 
                  लेकिन.... 
उसके साये को भी छूने की इजाजत नहीं है।। 

भरना उसे बाहों में चाहती हूँ, 
          लेकिन....
उसके साये को भी छूने की इजाजत नहीं है।। 

चुभना उसके माथे को चाहती हूँ,
            लेकिन....
उसके साये को भी चुमने की इजाजत नहीं है।।

थाम कर उसका हाथ चलना चाहती हूँ, 
                    लेकिन....
उसके साये को भी छूने की इजाजत नहीं है। ।

                             राधा कुमारी ✍️


⋇⋆✦⋆⋇ ए दोस्त ⋇⋆✦⋆⋇ 

ए दोस्त.........
मेरा मकान कच्चा हैं, 
तु यार मेरा सच्चा हैं, 
मैं रो देता हूँ तुमसे गले लगकर,
क्योंकि, मेरे भी भीतर एक नन्हा बच्चा है ।।

          राधा कुमारी ✍️


⋇⋆✦⋆⋇।। शून्य से शुरुआत करके ।।⋇⋆✦⋆⋇ 

शून्य से शुरुआत करके ,
बहुत कुछ लिखना सिखाते हैं ।।

कभी माता-पिता बनकर ,
गलतियों पर डांट लगाते हैं ।।

कभी बन जाते हैं सखा ,
कभी प्यार बहुत जताते हैं ।।

शून्य से शुरूआत करके ,
बहुत कुछ लिखना सिखाते हैं ।।

कदम कदम पर खड़े रहकर ,
अपना हर कदम हमारे साथ मिलाते हैं ।।

गर् टुट जाए हौसले कभी ,
" तुमसे ही होगा "और कभी " तुमसे नहीं होगा "कहकर 
बुलंदियों तक पहुंचाते हैं ।।

शून्य से शुरूआत करके ,
बहुत कुछ सिखाते हैं ।।


                       राधा कुमारी ✍️


©Radha Kumari

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